How a Man Survived 438 Days in Deep Ocean

How a Man Survived 438 Days in Deep Ocean

पैसिफिक ओशन हमारी सोच से भी ज्यादा बड़ा है। चिली के साहिल समंदर पर पैसिफिक ओशन में अगर अर्थ के आर पार सुराख भी किया जाए तो तब भी वह सुराख अर्थ की दूसरी साइट पर पेसिफिक ओशन में ही निकलेगा। दुनिया में टोटल पाँच ओशन पाए जाते हैं। इन पाँच ओशन में से सबसे बड़ा ओशन पेसिफिक ओशन कहलाया जाता है और यह टोटल 165 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर के एरिया पर फैला हुआ है। आपको यह बात जानकर हैरत होगी कि हमारी दुनिया का टोटल लैंड यानी टोटल खुश्क हिस्सा ही 140 मिलियन स्क्वायर किलोमीटर पर फैला हुआ है, जिसका मतलब यह हुआ कि बाकी चार ओशन हटाकर सिर्फ अगर पैसिफिक ओशन की बात की जाए तो वह अकेला ही हमारी पूरी दुनिया के तमाम पहाड़ों, रेगिस्तान, जंगलात और आइलैंड से भी काफी ज्यादा बड़ा है। इस पूरे ओशन में सिर्फ चंद आइलैंड हैं और वह भी इतने छोटे हैं कि वह इस आलीशान समंदर के मुकाबले में सिर्फ एक डॉट के बराबर दिखते हैं और सोने पर सुहागा। यह वह आइलैंड्स हैं, जिनमें से ज्यादातर पर किसी इंसान ने आज तक कदम नहीं रखा। यानी कुल मिलाकर बात की जाए तो अगर कोई शख्स इस पैसिफिक ओशन में गुम हो जाए तो उसको ढूंढने का चांस लगभग ना होने के बराबर है। लेकिन कैसे कैसे एक आदमी गहरे समुद्र में 438 दिनों तक जीवित रहा ?

How a Man Survived 438 Days in Deep Ocean

आज आप एक ऐसे इंसान की रियल स्टोरी जानेंगे जो अपनी छोटी सी बोट पर इस पैसिफिक ओशन में गुम गया था और वह भी सिर्फ 10 या 15 दिनों तक नहीं बल्कि पूरे 438 दिन तक। जी हां, इस शख्स ने एक्सीडेंट एक ऐसा वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया था जिसको शायद कोई चाहते हुए भी तोड़ना पसंद नहीं करेगा। समंदर में अकेले सबसे ज्यादा वक्त गुजारने का यह वर्ल्ड रिकॉर्ड जो सिल्वर कवरिंग का नामी एक शख्स ने बनाया था, जिसने समंदर में पूरे 438 दिन गुजारे और वह भी सिर्फ सात फुट की छोटी सी बोट पर। लेकिन सवाल यह है कि आखिर 14 महीनों तक खौफनाक समंदर में यह अकेला जिंदा कैसे रहा?

लेकिन इससे पहले हम यह जानेंगे कि यह समंदर में गया क्यों था ? यह बात है टू थाउजेंड ट्वेल्व की, जब मैक्सिको के एक छोटे गांव कोस्टा में जोस एल्विन का नामी यह शख्स रहता था। जोस उस वक्त 36 साल का था और यह एक एक्सपर्ट मछेरा भी हुआ करता था। 17 नवंबर 2012 वाले दिन जोस अपने एक साथी के साथ फिशिंग के लिए अपनी छोटी बोट पर रवाना हुआ। इनका प्लैन था कि वह समंदर में सिर्फ 30 घंटे गुजारेंगे। इसी वजह से इनकी छोटी सी बोट पर कुछ ज्यादा सामान भी नहीं था। इस सात फुट की बोट में सिर्फ एक इंजन और एक रेफ्रिजिरेटर था, जिसमें वह मछलियां स्टोर करते थे। अपने साथ सिर्फ एक दिन का खाना पीना लेकर जाने वाले जोस को यह कहां मालूम था कि उसके अगले 438 एक दिन उसकी जिंदगी के बदतरीन दिन होने वाले हैं। वह मैक्सिको के साहिल से 120 किलोमीटर दूर गए और अपना जाल समंदर में बिछा दिया। लेकिन उसी वक्त एक खौफनाक समुद्री तूफान वहां आ पहुंचा। अपनी जान बचाने के लिए वह मछली के जाल को वहीं छोड़ कर वापिस साहिल की तरफ उल्टे पांव भागे। पूरे छह (6) घंटे बोट को मुसलसल तेज रफ्तार में भगाते। सुबह के 07:00 बजे वह साहिल से अब सिर्फ 20 किलोमीटर दूर थे और उनको अपना गांव नजर भी आने लगा था।

वह इस तूफान को तो काफी दूर छोड़ आए थे लेकिन अब उनकी किस्मत काम करना छोड़ गई थी। साहिल से सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर उनकी बोट का इंजन खराब हो गया था। अब न ही उनके पास चप्पू थे और न ही बोट की डायरेक्शन कंट्रोल करने वाला सेल। लेकिन उनके पास एक रेडियो था, जिसके जरिए उन्होंने अपनी लोकेशन अपने बॉस को भेजी और उनके जवाब का वेट करने लगे। लेकिन उसके बाद जो हुआ वह हर मछेरे का घिनौना ख्वाब होता है। जी हां, अपने बॉस के जवाब का वेट करते करते उनके रेडियो की बैटरी भी जवाब दे गई और अब इन दोनों मछुआरों का बाहर की दुनिया से कॉन्टैक्ट खत्म हो चुका था।

जोस एल बनेंगा और उसका साथी अभी इसी शॉक में थे कि अचानक वह हुआ जिसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। तेज हवाओं ने उनको वापस समंदर की तरफ धकेलना शुरू कर दिया था और जो साहिल उनको नजर आ रहा था वह आहिस्ता आहिस्ता उनसे दूर होता चला गया। उनके बॉस ने एक सर्च पार्टी भी बनाई और उनको पैसिफिक ओशन में भी ढूंढा। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि जैसे जैसे दिन गुजरते जा रहे थे। जोस और उसके साथी का बचना काफी मुश्किल समझा जा रहा था। इस हादसे को अभी पांच दिन गुजर चुके थे और हवाओं ने जोस की बोट को साहिल से 450 किलोमीटर दूर धकेल दिया था।

वह समंदर के ऐसे हिस्से में पहुंच चुके थे जहां हर डायरेक्शन में सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा था। उनको मालूम था कि उनकी बोट इतनी छोटी है कि उसको दूर से भी स्पॉट नहीं किया जा सकता। न ही उनके पास कोई फ्लेयर गन थी और न ही वह आग लगाकर धुएं से सिग्नल दे। सकते थे। यानी जोस रिंगा और उसके साथी को अच्छी तरह मालूम हो चुका था कि उनके बचने का चांस अब वन परसेंट से भी कम है। जो खाना पीना वह साथ लाए थे वह पहले ही खतम हो चुका था। इसीलिए अब पेट भरने के लिए उन्होंने अपने हाथों से ही उन परिंदों को पकड़ना शुरू कर दिया जो उनकी बोट पर आकर बैठते थे या फिर बोट के आस पास मौजूद मछलियों को पकड़कर कच्चा खाने लगे। समंदर का खारा पानी पीने से इंसान की मौत हो सकती है। इसी वजह से उन्होंने बारिश का पानी समंदर में तैरने वाली प्लास्टिक बॉटल्स में जमा करके पीना शुरू किया। लेकिन जब बारिश कई दिनों तक नहीं पड़ती थी तब वह अपनी प्यास बुझाने के लिए मछलियों और टर्टल्स का खून पीते थे और वह भी तब जब वह उनको पकड़ने में कामयाब होते थे।

दिन गुजरते गए और फिर महीने ये दोनों जिस मेंटल टॉर्चर से गुजर रहे थे, वह इमेजिन करना भी हमारे लिए मुश्किल है। आखिरकार जो अलवर विंग का साथी यह टॉर्चर बर्दास न कर सका और चार महीनों के बाद उसने सुसाइड कर लिया। अब इस छोटी सी बोट पर बात करने के लिए भी जोस के पास कोई नहीं था और वह चारों तरफ घिरे इस समंदर में अकेला जिंदगी गुजारने लगा। मैप में देखा जाए तो एक अंदाजे के मुताबिक अब जो पैसिफिक ओशन के इस हिस्से में मौजूद था और यह दुनिया का खामोश सुमसान हिस्सा माना जाता है। हत्ता के यहां से कार्गो शिप भी कभी कभार गुजरती हैं।

मैक्सिको के साहिल को छोड़े छह महीनों से भी ज्यादा हो चुके थे और इस दौरान जोज ने अपने साथी को भी खो दिया था। इसी वजह से वह काफी ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड भी हो चुका था। एक दिन जोस को दूर समंदर में एक कार्गो शिप गुजरती दिखाई दी। पिछले छह महीनों में वह पहली शिप देख रहा था और यह मंजर देखते ही उसकी जिंदा रहने की उम्मीद वापस से जागने लगी। जोस ने कार्गो शिप की तरफ हर तरह के इशारे किए, लेकिन बदकिस्मती से शिप के क्रू को यह छोटी सी बोट नजर नहीं आई और देखते ही देखते उसकी जिंदा रहने की उम्मीदों पर एक बार फिर से पानी फिर गया। इमैजिन करें कि समंदर के बीचों बीच एक एक दिन मौत से लड़ने के बाद जब आखिरकार जान बचाने का आसरा मिले और वह भी इग्नोर करके चला जाए तो कैसा लगेगा।

11 महीनों के बाद जोस अपनी इस छोटी सी बोट पर 8000 किलोमीटर ट्रैवल कर चुका था। उसके कपड़े भी फट चुके थे और उसके पास खुद को सनलाइट से बचाने के लिए सिर्फ एक अंडर वेस्ट बची थी। आखिरकार वह घड़ी आ ही गई, जब किस्मत जोस पर मेहरबान हो गई।

1 जनवरी 2000 को यानी पूरे 14 महीनों के बाद जोस ने आस पास पानी में नारियल तैरते देखे। वह समझ गया था कि कोई आइलैंड करीब आ चुका है, जहां लगे नारियल दरख्तों से टूट कर पानी में तैर रहे हैं। थोड़ी देर बाद उसको वाकई एक आइलैंड नजर आने लगा। उसको डर था कि यह आइलैंड भी कहीं इससे मिस न हो जाए। इसी वजह से वह पानी में कूद गया और स्विम करके आइलैंड पर पहुंच गया। पिछले 14 महीनों में जोस ने पहली बार किसी जमीन पर कदम रखा था और जब वह आइलैंड पर पहुंचा तो उसको एक छोटा बीज हाउस दिखाई दिया, जिसमें वहां का लोकल मौजूद था। पिछले 430 डेज में जोस का पहली बार किसी और इंसान से कॉन्टैक्ट हुआ था।

यह आइलैंड मार्शल आइलैंड का एक रिमोट आइलैंड था, जिसको बॉन एटोल कहा जाता है और यह आइलैंड जोस के स्टार्टिंग पॉइंट से 4 हजार किलोमीटर दूर है। यह भी जोस की किस्मत थी कि वह समंदर में एक छोटे डॉट्स जितने आइलैंड के करीब पहुंच गया था। वरना अगर जोस से यह आइलैंड भी मिस हो जाता तो अगला स्टॉप इसका फिलीपींस में होता, जो इस आइलैंड से भी 5000 किलोमीटर अधिक दूर है। वहां से जोस को वापस अपने घर भेजा गया जहां पहुंचते ही एक और मुसीबत ने उसको घेर लिया।

जी हां, वापस पहुंचने पर जोस ने 438 डेज के नाम से एक बुक पब्लिश की लेकिन जोस पर अपने साथी को मारने का इल्जाम लगाकर उस पर केस कर दिया गया। वही साथी जिसने जोस के मुताबिक सूइसाइड किया था।

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