Taj Mahal History
ताज महल एक अद्वितीय प्रेम का प्रतीक है, जो मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था। ताज महल भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लाखों लोगों को आकर्षित करताहै। ताजमहल के बारे में 22 ऐसी बातें जानोगे जो शायद ही आपने पहले कभी सुनी होंगी।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जब भारत आए थे तो ताजमहल को देखने के बाद उन्होंने कहा था, आज मुझे अहसास हुआ इस दुनिया में दो ही तरह के लोग हैं। एक वो जिन्होंने ताज देखा है, दूसरे वह जिन्होंने ताज नहीं देखा। होंगी। इस दुनिया में एक से बढ़कर एक खूबसूरत इमारतें। लेकिन ताज जैसी कोई नहीं। क्योंकि इसकी बुनियाद में एक बादशाह ने अपना दिल रखा है।
ताजमहल के बारे में 22 ऐसी बातें जानोगे जो शायद ही आपने पहले कभी सुनी होंगी।
1. हजारों टूरिस्ट जो ताजमहल देखने आते हैं वो ये नहीं जानते कि जो वो सामने देख रहे हैं वो ताजमहल का पिछला हिस्सा है। दरअसल जो शाही दरवाजा है वो नदी के किनारे दूसरी तरफ है। आज ज्यादातर टूरिस्ट ताज को वैसा नहीं देख पाते जैसा कि शाहजहां चाहते थे। मुगलकाल में ताज तक पहुंचने के लिए नदी ही मुख्य रास्ता थी। ये एक तरह का हाईवे था। बादशाह और उनके शाही मेहमान नाव में बैठकर आते थे। नदी के किनारे एक चबूतरा हुआ करता था। नदी बढ़ती गई और वह बहुत पहले ही नष्ट हो गया। बादशाह और उनके मेहमान उसी चबूतरे से ताज आया करते थे।
2. यह कहा जाता रहा है कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे। लेकिन यह बात एक अफवाह जैसी लगती है क्योंकि इस बात का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि शाहजहां ने मजदूरों और कारीगरों को जिंदगी भर की पगार देकर उनसे करारनामा लिखवाया था कि वह ऐसी कोई दूसरी इमारत नहीं बनाएंगे।
3. ताजमहल की जो चार मीनारें हैं, यह बिल्कुल सीधी नहीं खड़ी हैं, बल्कि चारों बाहर की ओर हल्की झुकी हुई हैं और इन्हें ऐसा ही बनाया गया था ताकि भूकंप जैसी आपदा आने पर अगर ये गिरे भी तो बाहर की ओर गिरे और मुख्य मकबरे को कोई नुकसान न पहुंचे।
4. कुतुब मीनार भारत की सबसे ऊंची मीनार है। लेकिन शायद आपको जानकर हैरानी हो। ताजमहल की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ज्यादा है। ताजमहल 73 मीटर ऊंचा है, जबकि कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है।
5. दुनिया में जितनी भी एतिहासिक इमारतें मौजूद हैं उनमें से सबसे सुंदर कैलीग्राफी ताज पर हुई है। जैसे ही आप ताज के बड़े दरवाजे से अंदर जाते हो, दरवाजे पर लिखा यह सुलेख आपका स्वागत करता है। हे आत्मा! तू ईश्वर के पास विश्राम कर, ईश्वर के पास शांति के साथ रहे और उसकी परम शांति तुझ पर बरसे। यह कैलीग्राफी धुलकोट लिपि में है। इस कैलीग्राफी को डिजाइन करने वाले का नाम अब्दुल हक था, जिसे ईरान से बुलाया गया था। शाहजहां ने उसकी चकाचौंध कर देने वाली कला को देखते हुए उसे अमानत खान नाम दिया। उपाधि के तौर पर।
6. जिस वक्त शाहजहां बादशाह बने वह मुगल सल्तनत का सबसे सुनहरा दौर था। या यूं कहें शाहजहां का जमाना मुगल हुकूमत के बसंत जैसा था। चारों तरफ अमन और खुशहाली थी। प्रजा के लिए बादशाह का हुक्म ही सबसे ऊंचा होता था। शाहजहां की बादशाहत में लड़ाईयां नहीं होती थी। वो जबरदस्त शानो शौकत, ऐशो इशरत का दौर था। बादशाह को बड़ी बड़ी इमारतें बनवाने का शौक था। उन्होंने मुगल वास्तुकला के साथ भारत के प्राचीन इतिहास को मिला दिया था।
7. ऐसी भव्य इमारत दुनिया ने पहले कभी नहीं देखी थी। इसके लिए सफेद संगमरमर राजस्थान के मकराना से लाया गया था। जेड और क्रिस्टल चाइना से मंगवाया गया था। लेविस लाज ली अफगानिस्तान से आया था और कोई तिब्बत से, जैस्पर पंजाब से, सैफायर श्रीलंका से और कार्नेलिया अरब से आया था। कुल मिलाकर ऐसे ही 28 किस्म के बेशकीमती रत्नों को सफेद संगेमरमर में जड़ा गया था। इन सब चीजों को विदेश से आगरा लाने के लिए 1000 से भी ज्यादा हाथी इस्तेमाल किए गए थे।
8. ताजमहल आज से करीब 400 साल पहले 1631 में बनना शुरू हुआ था और यह 22 साल बाद 1653 में पूरा हुआ। इसका निर्माण 20,000 कारीगरों और मजदूरों ने किया था। वास्तुकला का इससे शानदार नमूना दुनिया में दूसरा कोई भी नहीं। ताज महल के निर्माण के लिए हर चीज को हीरे की तरह परखकर चुना गया था। ताज महल की दीवारों पर जो नक्काशी है, इसकी तकनीक इटली के कारीगरों से सीखी गई थी। उज्बेकिस्तान के बुखारा से संगमरमर को तराशने वाले कारीगर बुलाए गए थे। ईरान से संगमरमर पर कैलीग्राफी करने वाले कारीगर आए थे और पत्थर को तराशने के लिए बलूचिस्तान के कारीगरों को बुलाया गया था।
9. 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने ताज को काफी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने लैप्स लाज ली। जैसे कई बेशकीमती रत्नों को ताज महल की दीवारों से खोदकर निकाल लिया था।
10. ताज महल के मुख्य गुंबद का जो कलश है। किसी जमाने में वह सोने का हुआ करता था। 19वीं सदी की शुरुआत में सोने के कलश को बदलकर कांसे का कलश लगा दिया गया।
11. दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि ताजमहल को किसने डिजाइन किया था, लेकिन यह कहा जाता है कि 37 लोगों की एक टीम ने मिलकर ताज महल का नक्शा तैयार किया था। यह 37 वास्तुकार दुनिया के दूर दूर के कोनों से बुलाए गए थे।
12. ताजमहल की नींव बनाते समय ताज के चारों ओर बहुत से कुएं खोदे गए। इन कुओं में ईट पत्थर के साथ साथ आबनूस और महोगनी की लकड़ियों के लट्ठे डाले गए। ये कुएं ताज की नींव को मजबूत बनाते हैं। आबनूस और महोगनी की लकड़ियों में यह खासियत होती है कि इन्हें जितनी नमी मिलती रहेगी, यह उतनी ही फौलादी और मजबूत रहेंगी और इन लकड़ियों को नमी ताज के पास बहने वाली यमुना नदी के पानी से मिलती है। यमुना के पानी का स्तर हर साल घट रहा है और लकड़ियों में नमी की कमी आ गई है। यही वजह है कि सन 2 हज़ार 10 में ताज में दरारें देखी गई। 10 1653 में जब ताज बनकर तैयार हुआ था, उस समय इसके निर्माण की कीमत करोड़ों में आंकी गई थी। उसी हिसाब से अगर आज ताज बनवाया जाए तो इसे बनाने में कम से कम 57 अरब ₹60 करोड़ लगेंगे।
13. 1989 में एक भारतीय लेखक पीएन ओक ने एक किताब लिखी थी जिसका नाम था ताजमहल द ट्रू स्टोरी। इस किताब में उन्होंने कई तर्कों के साथ यह दावा किया था कि ताज महल मकबरा बनने से पहले एक शिव मंदिर था और इसका नाम तेजो महालय था। सन 2 हज़ार में पीएन ओक ने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए ताज की साइट खोदने के लिए सुप्रीम कोर्ट को अर्जी दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक, ताजमहल कभी एक शिव मंदिर था। इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं, बल्कि शाहजहां ने ताज को बनवाया था। इसके प्रमाण ही इतिहास के पन्नों में मिलते हैं।
14. कहानी प्रसिद्ध है कि शाहजहां यमुना नदी के दूसरी तरफ काले संगेमरमर से। ऐसा ही एक और काला ताजमहल बनाना चाहते थे। कहा जाता है कि शाहजहां मुमताज की तरह अपने लिए भी एक मकबरा बनाना चाहते थे, लेकिन इससे पहले कि वह काला ताजमहल बनवा पाएं, औरंगजेब ने उनको कैदखाने में डलवा दिया। लेकिन इतिहासकार कहते हैं।कि यह बात बनाई गई मनघडंत कहानियां हैं। जिस जगह शाहजहां के काला ताज बनवाने की बात कही जाती है, वहां कई बार खुदाई की जा चुकी है, लेकिन ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला जिससे यह पता चले कि शाहजहां काला ताज बनवाना चाहते थे।
15. ताजमहल का डिजाइन हुमायूं के मकबरे से प्रेरित दिखता है। हुमायूं शाहजहां के परदादा थे। उनका यह मकबरा हिन्दुस्तान में आगे बनने वाली कई मुगल इमारतों के लिए प्रेरणा बना।
16. ताजमहल का डिजाइन हुमायूं के मकबरे से प्रेरित दिखता है। हुमायूं शाहजहां के परदादा थे। उनका यह मकबरा हिन्दुस्तान में आगे बनने वाली कई मुगल इमारतों के लिए प्रेरणा बना।
17. दूसरे विश्वयुद्ध में सरकार ने मकबरे के चारों ओर बांस का घेरा बनाकर सुरक्षा कवच तैयार कराया था जिससे की हवाई बमबारी को भ्रमित किया जा सके और यह जर्मन और जापानी हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान कर पाए। 1965 और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भी यही किया गया था।
18. कई देशों में ताजमहल की नकल पर बनी इमारतें मौजूद हैं, जैसे चीन, बांग्लादेश और कोलंबिया में और ऐसी एक इमारत भारत में भी मौजूद है। बीबी का मकबरा यह इमारत महाराष्ट्र के औरंगाबाद में है। इसे मुगल बादशाह आजम शाह ने अपनी मां दिलराज बानो बेगम की याद में 17वीं सदी के आखिर में बनवाया था। इसे ताज महल की तर्ज पर बनवाया गया था। इस मकबरे का गुंबद ताज महल के गुंबद से छोटा है और इसका सिर्फ गुंबद ही संगेमरमर का है। बाकी निर्माण प्लास्टर से किया गया है।
19. ताजमहल की सबसे ज्यादा लोकप्रियता इसके निर्माण से जुड़ी अद्भुत प्रेम कहानी की वजह से है। बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में इस इमारत को बनवाया था। मुमताज का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था। शाहजहां ने उन्हें मुमताज महल नाम दिया। यानी महल का सबसे अनमोल रत्न महज 38 साल की उम्र में अपनी 14वीं संतान को जन्म देते वक्त मुमताज की मृत्यु हो गई। उस वक्त वह बुरहानपुर में थी। अपनी प्रिय बेगम की मृत्यु से बादशाह बेहद दुखी हुए। जैसे उनकी जिंदगी ही तबाह हो गई और आखिर उनकी याद में शाहजहां ने ताज को बनवाने का फरमान जारी किया।
20. पहले मुमताज को बुरहानपुर में ही दफनाया गया। इसके बाद शाहजहां ने ताज को बनवाना शुरू किया। तब बुरहानपुर से मुमताज के शव को निकालकर जहां ताजमहल बन रहा था, उसके पास एक बगीचे में दफनाया गया। ताजमहल को तैयार होने में 22 साल लगे। तब तक मुमताज का शव बगीचे में बनाई गई कब्र में ही दफन रहा। बाद में उसे ताज महल के अंदर मुख्य गुंबद के नीचे दफनाया गया।
21. शाहजहां का सारा ध्यान ताज को एक खूबसूरत रूप देने में लगा रहा। इसी बीच शाहजहां के ही बेटे औरंगजेब ने आगरा पर हमला कर अपने पिता को कैद कर लिया। शाहजहां से पूछा गया कि वह क्या चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि उनको ऐसी जगह पर कैदी बनाकर रखा जाए जहां से वह सीधे ताज को देख पाएं और उनकी यह ख्वाहिश पूरी कर दी गई। कैद में रहते हुए भी शाहजहां हर वक्त ताज को देखते रहते और वहीं उन्होंने अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली। मृत्यु के बाद उन्हें मुमताज के साथ ही ताज महल में दफनाया गया। एक हारे थके बादशाह को भी अगर किसी ने गिरने नहीं दिया तो वह मुमताज के लिए उनका बेपनाह प्यार ही था। जिस लगन से प्यार की ये अनोखी निशानी बन कर तैयार हुई उसकी मिसाल आज पूरी दुनिया के सामने है।
22. कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने ताजमहल के बारे में लिखा है वक्त के गाल पर एक आंसू हमेशा हमेशा के लिए। उन्होंने ताज की छवि वक्त के गाल पर एक थमें हुए आंसू के रूप में बयान की है। शाहजहां जानते थे कि यह दौलत, यह ताकत और यह शानो शौकत एक दिन सब खत्म हो जाएगा। उन्होंने सोचा कि कुछ ऐसी यादगार चीज बनाई जाए जो हमेशा रहे और शाहजहां ने अपनी प्रिय की याद में ताज को बनवाया। आज बादशाह नही रहा। उनकी हुकूमत नही रही और उसकी सल्तनत को भी खत्म हुए कई जमाने गुजर गए। बस एक ताज है जिसने बादशाह की सदियों पुरानी प्रेम कहानी को खुद में संजोए रखा है। प्रकृति की गोद में चांद से जगमगाती यह भव्य इमारत सदियों से दो प्रेमियों के प्यार की अमर कहानी सुनाती आई है। और सदियों तक सुनाती रहेगी।